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मोतियाबिंद का ऑपरेशन कब करना चाहिए | कारण, लक्षण, उपचार|

मोतियाबिंद का ऑपरेशन कब करना चाहिए

मोतियाबिंद का ऑपरेशन कब करना चाहिए ? में यहाँ हम इस पोस्ट के माध्यम से यह जानेंगे कि  कैटरैक्ट या मोतियाबिंद का ऑपरेशन कब करना चाहिए या मोतियाबिंद का ऑपरेशन का सही समय क्या होता है।

तो सबसे पहले, मोतियाबिंद की सर्जरी के लिए मोतियाबिंद के पकने का इंतज़ार किया जाता था, लेकिन आजकल अब मोतियाबिंद का ऑपरेशन के लिए मोतियाबिंद के पकने की ज़रूरत नहीं होती। लेकिन अब एडवांस तरीके से मोतियाबिंद का ऑपरेशन होने लगा है।  पुराने समय में जहाँ पहले बड़ा चीरा लगाकर मोतियाबिंद का ऑपरेशन होता था वहीं अब मात्र दो मिलीमीटर के छोटे चीरे से अत्याधुनिक मोतियाबिंद का ऑपरेशन या सर्जरी की जाती है। इस सर्जरी से मरीज़ की रिकवरी भी काफी तेज़ होती है और मरीज जल्दी ही साफ देखने लायक बन जाता है।

मोतियाबिंद का ऑपरेशन कब करना चाहिए में अगर हम बात करें कि यह कब हो सकता है तो मोतियाबिंद किसी भी उम्र में हो सकता है। मोतियाबिंद की शुरुआत ही इसके ऑपरेशन का सबसे अच्छा समय है। अब किसी भी अवसर या समय का इंतज़ार करने की आवश्यकता नहीं होती। अब मोतियाबिंद का ऑपरेशन/ सर्जरी को समय से करवा कर हम आँखों पर पड़ने वाले दबाव से आँखों को बचा सकते हैं।

मोतियाबिंद का ऑपरेशन कब करना चाहिए में अब सवाल आता है कि मोतियाबिंद का ऑपरेशन किस मौसम में कराना चाहिए?

तो इसके जबाब में हम इतना कहना चाहेंगे कि आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि मोतियाबिंद का ऑपरेशन सर्दी के मौसम में ठीक रहता है। जिस से सर्जरी के बाद का ख्याल रखना आसान रहता है।  चूँकि सर्दी में नमी और पसीना दोनों ही कम होते हैं इसलिए इन्फेक्शन का डर भी नहीं रहता।

लेकिन असल बात यह है कि मोतियाबिंद का ऑपरेशन किसी भी मौसम में करवाने से कोई नुकसान या तकलीफ नहीं होती। अब मेडिकल साइंस की लगातार तरक्की के कारण मरीज अब मोतियाबिंद का ऑपरेशन कभी भी करवाकर बेहतर दृस्टि पा सकता है और इस प्रकार मौसम की वजह से इसमें कोई एलर्जी नहीं होती है।

मोतियाबिंद का ऑपरेशन होने के बाद की कुछ साधारण सी सावधानिया-

मोतियाबिंद का ऑपरेशन कब करना चाहिए ? इस  प्रश्न  का उत्तर जानने के बाद अब हम जानेंगे कि मोतियाबिंद का ऑपरेशन होने के बाद मरीज को क्या सावधानी बरतनी चाहिए ?

तो मोतियाबिंद का ऑपरेशन होने के बाद आप अपने रोजमर्रा के साधारण कार्य अगले ही दिन से दोबारा आरम्भ कर सकते हैं, बसर्ते कि आपके डॉक्टर द्वारा बताई गई कुछ साधारण सी आम सावधानियां आपको माननी /फॉलो करनी होती है। जैसे कि –

अपनी आंखों को धूल मिटटी से बचाना,

इसके लिए काला चश्मा ( जो कि डॉक्टर द्वारा दिया गया है ) जरूर पहनना चाहिए,

  • धुंए से आंखों को बचाना,
  • सीधा पानी आंखों पर न मारना,
  • व्यायाम न करना,
  • आंखों को न रगड़ना,

मोतियाबिंद का ऑपरेशन होने के बाद की सावधानियों के लिए आप ये वीडियो देखें

तो आप कुछ दिन इन सावधानियों को फॉलो करते /बरतते हुए अपनी जिंदगी एक नई रोशनी या नयी दृस्टि / नज़र के साथ गुजर सकते हैं। मोतियाबिंद का ऑपरेशन होने के बाद डॉक्टर द्वारा सुझाए गए/ रेकमेंड किये गए दिनों में अपनी आँखों की जांच अवश्य ही  करवाएं, ये जाँच आपके लिए बहुत ही फायदेमंद होती है। इसलिए मोतियाबिंद का ऑपरेशन के बाद अपनी आँखों की जाँच जरूर करवाएं।

देखिये, मोतियाबिंद का ऑपरेशन कब करना चाहिए को लेकर हम आगे आपको बता दें कि एक आँख में मोतियाबिंद होने पर सारा ज़ोर आपकी दूसरी आँख पर पड़ता है और वो धीरे-धीरे कमज़ोर होने लगती है। तो यह भी एक और कारण है, जिसके लिए डॉक्टर साहिब (जाने माने नेत्र स्पेशलिस्ट ) –डॉ. कशिश गुप्ताजी की एडवाइस है कि मोतियाबिंद का ऑपरेशन जल्द ही करवाना चाहिए। मोतियाबिंद बनते ही मौसमों के बदलने का इंतज़ार बिलकुल न करें, बल्कि तुरंत ही मोतियाबिंद का ऑपरेशन या मोतियाबिंद का सर्जरी करवायें। इससे आपको रोजमर्रा के कार्य करने में आसानी हो जाती है, आप स्पस्ट रुर से देखने में सच्छम हो जाते हैं।  इसके अलावा आपके   जीवनस्तर में सुधार होता है जैसे कि , पढ़ना, वाहन चलाना, व्यायाम करना और अपने बाक़ी सभी काम आप आसानी के साथ कर पाते हैं।

मोतियाबिंद का ऑपरेशन करने के एवं लेसिक सर्जरी के जाने माने प्रसिद्ध ,एक्सपेरिएंस्ड/ तजुर्बेकार सर्जन डॉक्टर कशिश गुप्ता जी के अनुसार किसी भी मौसम में बिना किसी डर के डॉक्टर की सलाह से समय पर मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाया जा सकता है।  मोतियाबिंद का ऑपरेशन/ सर्जरी बिल्कुल सुरक्षित एवं सेफ है। आँखों की नजर ठीक रहने की वजह से हम किसी दूसरे पर आश्रित/डिपेंडेंट  होने से भी बचते हैं। दृष्टि संबंधी समस्याओं के कारण गिरने या चोट लगने का डर भी हमेशा लगा रहता है, तो इन सभी परेशानियों से बचने के लिए जल्द ही सर्जरी करवाएं और जिंदगी का भरपूर आनंद लें। मोतियाबिंद लेंस कीमत |

मोतियाबिंद का ऑपरेशन कब करना चाहिए में मोतियाबिंद का बेस्ट एवं सेफ ईलाज के लिए कौन सा ऑपरेशन होता है ? एवं आँख फड़कने का वैज्ञानिक कारण क्या है ?

मोतियाबिंद का बेस्ट एवं सेफ ईलाज के लिए ऑपरेशन कब एवं कहाँ  होता है ?

मोतियाबिंद के बेस्ट इलाज के लिए लेजर सर्जरी/ लेसिक सर्जरी को ही प्रेफर किया जाता है। एक तरह से लेसिक सर्जरी ही मोतियाबिंद का बेस्ट इलाज माना जाता है। यह एक मॉडर्न एवं एडवांस सर्जिकल प्रोसेस है जिसके द्वारा किसी भी प्रकार के मोतियाबिंद को हम हमेशा के लिए ठीक कर सकते हैं। तो अगर आप मोतियाबिंद से पीड़ित हैं या आपके परिवार में किसी भी मेंबर को मोतियाबिंद की प्रॉब्लम है तो आप एक अनुभवी नेत्र रोग विशेषज्ञ जैसे कि डॉक्टर कशिश गुप्ता से परामर्श करने के बाद ही लेसिक सर्जरी/लेजर सर्जरी करवाएं। यह सर्जरी बहुत ही सेफ है और इस सर्जरी के तुरंत बाद ही मरीज को तेज और साफ दृष्टि प्राप्त हो जाती है। कहने का मतलब कि मोतियाबिंद का ऑपरेशन होने के बाद पेशेंट /मरीज  साफ देख सकता है। हालांकि कुछ मामलों में हो सकता है कि साफ दृष्टि आने में कुछ दो से चार पांच दिनों का समय लग सकता है। यह एक मरीज के ओवरऑल हेल्थ पर निर्भर करता है। तो आप बिल्कुल निश्चिंत रहें और मोतियाबिंद का बेस्ट इलाज लेसिक सर्जरी से जाने माने प्रसिद्ध ,एक्सपेरिएंस्ड/ तजुर्बेकार डॉक्टर कशिश गुप्ता जी से ही  करवाएं।

भैंगापन – कारण, लक्षण एवं उपचार की संपूर्ण जानकारी

भैंगापन

आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम बात करेंगे कि भेंगापन सर्जरी आयु सीमा की क्या/ कितनी होती है? तो इसके लिए सबसे पहले हम यह जानते हैं कि भेंगापन जो है, होता क्या है, तो आमतौर पर भेंगापन को स्ट्रैबिस्मस भी कहा जाता है।  भेंगापन मतलब की यह एक ऐसी चिकित्सीय स्थिति है, जिसमें आंखें एक समय में एक ही बिंदु पर ध्यान केंद्रित करने में विफल हो जाती हैं।

दूसरे शब्दों में से हम यूं कहें कि इस चिकित्सीय स्थिति में आंखें एक दूसरे के साथ संरेखित नहीं होती हैं।

भेंगापन की समस्या बच्चों में ज्यादा आम बात होती है लेकिन वयस्को में भी भेंगापन की समस्या देखने को मिल जाती है। तो भेंगापन की समस्या कई चीजों को प्रभावित करती है जैसे कि इसमें वयक्ति अपने को दुसरो से कटा कटा सा या अलग सा महसूस करता है।

भेंगापन सर्जरी आयु सीमा की आगे अगर हम बात करें तो भेंगापन को मेडिकल भाषा में क्रॉस-आई या वॉल-आई भी कहते हैं।

तो जैसे कि भेंगापन सर्जरी आयु सीमा की हम बात कर रहे हैं तो इसमें अगर कोई बच्चा जन्म से ही आंखों में भेंगापन के साथ पैदा हुआ है तो फिर इसके इलाज के बारे में आपको ज्यादा सोचने या घबराने की बात नहीं होती है। क्योंकि भेंगापन की सर्जरी काफी आसान होती है, तो आप इसको आसानी से, बिना किसी परेशानी के से करा सकते हैं।

बच्चों में भेंगापन सर्जरी आयु सीमा

बच्चों का जन्म होते ही डॉक्टर जब बच्चे के शरीर की अच्छी तरह से जांच करते हैं ताकि यह जाना जा सके कि बच्चे को कोई परेशानी या समस्या तो नहीं है ? इस प्रकार अगर डॉक्टर जब बच्चे की आंखों में भेंगापन की होने की जानकारी आपको दे देते हैं, तो माता पिता से हमारी ये एडवाइस/ सलाह है कि सबसे पहले तो माता पिता घबराये नहीं। क्योंकि यह कोई बड़ी समस्या नहीं है। भेंगापन की समस्या को एक छोटे से ऑपरेशन से जल्दी ही ठीक किया जा सकता है। इसलिए पेरेंट्स/ माता-पिता जल्दी से जल्दी इसका ओप्रशन करवा सकते हैं  ताकि आगे जाकर यह समस्या बच्चे के लिए भरी ना पड़े और वह जल्दी ठीक हो जाए।

भेंगापन सर्जरी आयु सीमा के बारे में हम अब ये कहेंगे कि भेंगापन की समस्या बहुत ही संवेदनशील होती है इसलिए ज्यादातर लोग या माता-पिता अपने बच्चे की आंखों का ऑपरेशन कराने से कई बार हिचकिचाते हैं या यूँ कहें कि डरते हैं।  वैसे देखा जाए तो भेंगापन सर्जरी सबसे सुरक्षित सर्जरी होती है और इसे किसी भी उम्र में किया जा सकता है। इसके लिए कोई उम्र की सीमा निर्धारित नहीं है।

हां भेंगापन सर्जरी आयु सीमा की हम बात कर रहे हैं तो बच्चों के लिए भेंगापन सर्जरी की आयु सीमा जो है, 4 महीने के बच्चों का भी करवा सकते हैं इसलिए बचपन में भेंगापन सर्जरी कराते समय आपको ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है और न ही ज्यादा घबराने की कोई बात है।

तो माता-पिता को हमारी यह सलाह/ एडवाइस है कि बच्चों में भेंगापन सर्जरी कराते समय ज्यादा फिक्रमंद न हों। भेंगापन सर्जरी आप बचपन में. ही करवा लें। यह ऑपरेशन बच्चे को अपना आत्मविश्वास हासिल करने में मदद करता है और बच्चा जो है,  समाज में मतलब बराबर की दृष्टि से देखा जाता है। इसके अलावा बच्चे को एक स्पष्ट दृष्टि प्राप्त होती है। इसलिए भेंगापन की समस्या होने पर हमें हमेशा समय रहते सर्जरी करवाना ही अच्छा होता है क्योंकि अगर भेंगापन सर्जरी हम देर से कराते हैं तो इसके लिए इसमें ब्रेन सर्किट की अनुकूलन क्षमता वयस्कों से तुलनात्मक रूप से ज़्यादा होती है, जो उन्हें बेहतर दृस्टि या नज़र प्रदान करता करता है।

वयस्कों में भेंगापन सर्जरी आयु सीमा

अब बात करते हैं वयस्कों में यानि कि उम्र में बड़े लोगो में भेंगापन सर्जरी तो उन्हें यह सिर्फ साफ नज़र ही नही बल्कि इससे भी ज्यादा भेंगापन सर्जरी व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ाता है और उसे अपने  आत्मविश्वास को वापस लाने में भी मदद करता है। तो दृष्टि को बढ़िया बेहतर और आंखों के संरक्षण एवं आँखों को सुरक्षित रखने के लिए इस सर्जरी को करवा लेना चाहिए और भेंगापन की सर्जरी का फायदा उठाना चाहिए।

भेंगापन सर्जरी (एडवाइस / सलाह)

ऐसे में अगर भेंगापन की समस्या आपको या आपके किसी बच्चे को है तो आप आँखों के बहुत ही काबिल डॉक्टर डॉक्टर कशिश गुप्ता जी से मिलकर भेंगापन की समस्या के बारे में बात कर सकते हैं। भेंगापन की समस्या, उसके ईलाज और गंभीरता के बारे में भी आप जान सकते हैं जिससे कि आपको भेंगापन सर्जरी आयु सीमा की एवं भेंगापन सर्जरी के सही समय की जानकारी मिल सके।

इसलिए आप आँखों के काफी मशहूर एवं काबिल डॉ कशिश गुप्ता जी से जल्द मिले, जो कि सबसे अच्छी एवं वाजिब कीमतों पर भेंगापन सर्जरी प्रदान करते है। यहाँ डॉ. कशिश गुप्ता जी आपकी आंखों की बीमारी का बेहतर तरीके से जाँच करते हैं। इसके बाद आगे के उपचार के बारे में आपको इसके बेहतर एवं अच्छे ईलाज के बारे में बताते हैं।

इसके अलावा डॉ कशिश गुप्ता जी के पास रेटिना सर्जरी, चश्मा हटाना, लेसिक सर्जरी, भेंगापन, मोतियाबिंद सर्जरी और ग्लूकोमा सर्जरी और आँखों की कई अन्य बीमारियों  के ईलाज की सुविधाएं उपलब्ध है।

तो अधिक जानकारी के लिए आज ही हमारे अनुभवी नेत्र रोग विशेषज्ञों के साथ अपॉइंटमेंट बुक करने के लिये आप यहाँ पर क्लिक कर सकते हैं।

मोतियाबिंद लेंस के प्रकार | मोतियाबिंद लेंस की कीमत

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आँखे शरीर का बहुत ही खास अंग होती हैं। यह शरीर का एक ऐसा अंग है जिसके बिना जीवन जीना बहुत ही कठिन होता है। जैसा की आपको पता ही है कि आंखें बहुत ही कोमल और नाजुक होती हैं।

तो जरा सी लापरवाही से आंखों में परेशानियां हो सकती हैं या जरा सी लापरवाही भी आंखों में परेशानियों का कारण बन सकती है। इसलिए ही आँखों के डॉक्टर द्वारा,  हमेशा ही आंखों को चोट लगने या किसी प्रकार के नुकसान से बचाने के लिए हमें सलाह दी जाती है। आंखों में होने वाली बीमारियों में मोतियाबिंद बहुत ही आम बीमारी है। यह बीमारी आमतौर पर उम्र बढ़ने के साथ-साथ मतलब कि बुढ़ापे के कारण होती है, लेकिन आंखों में चोट लगने या किसी और समस्या के कारण भी यह बीमारी हो सकती है और यह किसी भी उम्र में हो सकती है।

आमतौर पर मोतियाबिंद का बेस्ट इलाज मोतियाबिंद की सर्जरी है।  तो मोतियाबिंद से पीड़ित मरीज को अपने दैनिक जीवन में रोजमर्रा के कामों को करने में बहुत सी परेशानियां होती हैं। इस बीमारी के कारण यानि कि मोतियाबिंद के कारण आंख की लेंस धुंधली हो जाती है जिसकी वजह से मरीज चीजों को साफ तौर पर नहीं देख सकता और उसकी दृष्टि धुंधली हो जाती है। इस कारण से उसे स्पष्ट दिखाई नहीं देता लेकिन मोतियाबिंद की सर्जरी से इस समस्या को दूर किया जा सकता है।

मोतियाबिंद की सर्जरी के दौरान आंख के लेंस को बाहर निकाल कर उसकी जगह एक आर्टिफिशियल लेंस लगा दिया जाता हैं जिससे कि मरीज आंखों से स्पष्ट रूप से देख सकते हैं।

बिना आँखों के रंगीन दुनिया को देखना मुश्किल है लेकिन अगर आंखों में किसी तरह की समस्या हो जाती है तो यह दुनिया बेरंग सी हमें लगती है। इसलिए आंखों को सुरक्षित रखना बहुत ही जरूरी है यह बहुत आंखें बहुत ही कोमल होती हैं और इनके प्रति जरा सी लापरवाही कई बीमारियों का कारण बन सकती है। आंखों में कई तरह की समस्याएं होती हैं जिसमें से मोतियाबिंद एक सबसे मुख्य बीमारी है यह कैसी बीमारी है जो उम्र बढ़ने के साथ-साथ हो जाती है यह बीमारी बुढ़ापे में ज्यादा होती है लेकिन कुछ लोगों को आंख में चोट लगने या फिर किसी और कारण से भी मोतियाबिंद हो सकता है। तो मोतियाबिंद होने पर डॉक्टर हमें सर्जरी की सलाह देते हैं। इस मोतियाबिंद की सर्जरी में आंखों के लेंस को हटाकर एक आर्टिफिशियल लेंस लगाया जाता है।

मोतियाबिंद सर्जरी के लिए लेंस का चुनाव कैसे करें?

तो अब बात आती है मोतियाबिंद सर्जरी के लिए कौन से लेंस का हमें चुनाव करना चाहिए ?

तो अगर आप इस बात को लेकर कंफ्यूज हैं और आपको समझ में नहीं आ रहा है कि मोतियाबिंद की सर्जरी के लिए कौन सा लेंस का चुनाव करना चाहिए ?

या किस प्रकार का लेंस आपके लिए उपयुक्त होगा ?

तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि आजकल मेडिकल साइंस में बहुत ही तकनीकी क्रांति आ गई है। इसलिए अब आपके सामने इंट्राऑकुलर लेंस और इसके बहुत सारे विकल्प आ गए हैं। तो लैंसेज के बहुत सारे विकल्प हैं, इसमें से आप अपनी जरूरत के मुताबिक लेंस का चुनाव कर सकते हैं। तो लेंस का चुनाव करने के लिए डॉक्टर कशिश  गुप्ता जो कि आंखों के बहुत ही माहिर डॉक्टर हैं वह आपकी हेल्प करेंगे और आपको पूरी डिटेल में बताएंगे कि आपके लिए कौन सा लेंस उपयोग तो होगा वह आपकी आंखों की पूरी जांच करके आपको सलाह देंगे कि कौन सा लेंस आपकी आंखों के मोतियबिंद ऑपरेशन के लिए उपयोगी है ?

अब बात करते हैं कि यह लेंस कितने प्रकार के होते हैं और मोतियबिंद के ऑपरेशन में लगाए जाने वाले लेंस की क्या कीमत क्या होती है ?

मोतियाबिंद लेंस की कीमत क्या / कितनी होती है ?


तो इसके लिए हम बात करेंगे मोतियबिंद ऑपरेशन में यूज़ होने वाली मोतियाबिंद लेंस कीमत की अगर हम बात करें तो यह हमारे अपने अनुभव के आधार पर प्राप्त की गई है, जो कि मार्केट में चल रही है। लेकिन हो सकता है कि जब आप यह आर्टिकल पढ़ रहे हों तो यह ज्यादा या कम भी हो सकती है। मोतियाबिंद लेंस कीमत जो आपको दी जाएगी वो आपके शहर और उपचार की लागत पर आधारित अलग भी हो सकती है। मोतियाबिंद लेंस कीमत एवं उपचार लागत कई बहुत सारे अन्य कारकों के ऊपर भी निर्भर करती है।

तो मोतियाबिंद लेंस कीमत एक्चुअल में अभी इसकी कीमत जानने के लिए आप यहां पर क्लिक करके हमारी सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं और लेंस की आज की असली कीमत आप जान सकते हैं।

उसके बाद ही आपको यह डिसाइड करने में आसानी होगी कि आपके लिए कौन सा लेंस उपयोग तो रहेगा। इसके अलावा डॉ कशिश गुप्ता जी द्वारा मोतियाबिंद सर्जरी में इस्तेमाल होने वाले लेंस जो हैं वे आमतौर पर कुछ इस तरह से मरीज की आँखों का चेक अप निर्धारित किये जाते हैं:-  

देखिए मार्केट में विभिन्न विशेषताओं वाले विभिन्न तरह के उपलब्ध है तो सर्जरी से पहले मरीज किसी किसी अच्छे नेत्र विशेषज्ञ जैसे कि डॉ. कशिश गुप्ता जी से चर्चा करके लैंसेज का प्रकार जान सकते हैं।

देखिए मार्केट में विभिन्न विशेषताओं वाले विभिन्न तरह के उपलब्ध है तो सर्जरी से पहले मरीज किसी किसी अच्छे नेत्र विशेषज्ञ जैसे कि डॉ. कशिश गुप्ता जी से चर्चा करके लैंसेज का प्रकार जान सकते हैं और मरीज की आंखों में लगवा सकते हैं। हालांकि यहां एक बात ध्यान रखनी होती है कि इस सर्जरी के दौरान कौन सा लेंस आपकी जीवनशैली के लिए सबसे अच्छी तरह से काम करता है या मरीज की जीवनशैली के हिसाब से कौन सा लेंस अच्छी तरह काम करेगा।

इसके अलावा कीमत पर भी ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि लैंसेज की कीमत अलग-अलग होती है हालांकि कई आयोएल (IOL ) लेंस लचीले होते हैं जिसे एक छोटे से चीरे से भी लगाया जा सकता है।  इसमें कुछ टांके लगाने की भी जरूरत नहीं होती है। आंखों के माहिर सर्जन (डॉ. कशिश गुप्ता) इस प्रकार के लेंस को मोड़कर (फोल्ड कर के ) उस खाली कैप्सूल में डाल देता है जहां कि आपका प्राकृतिक लेंस लगा हुआ होता है।

इसके अलावा अब संछेप में ये जान लें कि आईओएल लेंस होते क्या है ?

कुछ सस्ते एवं साधारण आईओएल लेंस कठोर प्लास्टिक के होते हैं जिसे बड़े चीरे के माध्यम से लगाया जाता है। इसे बंद करने के लिए टांके की भी आवश्यकता होती है। वहीँ ईओएल लेंस प्लास्टिक, एक्रेलिक , सिलिकॉन से बने होते हैं। इसमें कुछ आईओएल लेंस पराबैंगनी प्रकाश को अवरुद्ध करते हैं, रोक देते हैं।   

तो इस प्रकार हमने जाना कि आईओएल लेंस जो आजकल मार्केट में विभिन्न प्रकार के लेंस उपलब्ध हैं- जैसे कि फोकस मोनोफोकल, अकोमोडेटिंग फोकस मोनोफोकल मल्टीफोकल होता है।

अब बात करते हैं मोतियाबिंद लेंस कीमत की, तो यह लेंस की क्वालिटी और स्थान पर निर्भर करती है। शुरुआती कीमत की बात की जाए तो यह ₹2000 से शुरू हो जाती है। देखिए सरकारी अस्पतालों में मोतियाबिंद लेंस की कीमत कम होती है वहीं अगर आप प्राइवेट अस्पतालों की बात करें तो इसकी कीमत अधिक हो सकती है। इसकी बिल्कुल सटीक कीमत बताना मुश्किल होता है क्योंकि कीमत लोकेशन, अस्पताल और क्वालिटी के आधार पर अलग अलग हो सकती है।

सलाह / एडवाइस-

अंत में यही कहना चाहेंगे कि मोतियाबिंद की समस्या होने पर आप किसी अच्छे डॉक्टर जैसे की डॉ. कशिश गुप्ता जी से संपर्क करें वह आपको मोतियाबिंद ऑपरेशन के लिए आपके लिए अनुकूल एवं अच्छे लेंस के बारे में बताएँगे, जिसे लगाने से आपकी दृष्टि में सुधार होता है। लेकिन यहां एक बात ध्यान रखने योग्य है कि आंखों में किसी भी तरह की परेशानी होने पर आप अच्छे डॉक्टर से संपर्क करें एवं इसके साथ ही मोतियाबिंद की सर्जरी करवाने के बाद अगर किसी तरह की परेशानी महसूस हो रही है तो आप तुरंत डॉक्टर की सलाह लें ताकि आने वाले समय में होने वाली परेशानी से बचा जा सके। तो आंखों की समस्याओं से बचने के लिए आप आज ही यहाँ संपर्क करें।

निकट दृष्टि दोष क्या होता है और इसका उपचार/ ईलाज कैसे किया जाता है ?

मानव आँख दूर या निकट की वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित कर सकती है। यह आमतौर पर आंख के लेंस की वक्रता द्वारा किया जाता है। यदि लेंस की वक्रता कम है, तो यह दूर की वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करेगा। लेकिन कभी-कभी दूर दृष्टि धुंधली होती है जबकि निकट दृष्टि स्पष्ट होती है। इस स्थिति को मायोपिया कहते हैं। मायोपिया को ही निकट दृष्टिदोष भी कहा जाता है।

दूसरे शब्दों में, मायोपिया एक आँख का दोष या आँख की सामान्य असामान्यता है जिसमें निकट दृष्टि स्पष्ट होती है जबकि दूर दृष्टि धुंधली होती है। इस स्थिति को आमतौर पर मायोपिया कहा जाता है।  यही निकट दृष्टि या अदूरदर्शिता या मायोपिया कहलाता है।

आँख का वह भाग, जो आँख को प्रतिबिम्ब बनाने में सहायता करता है, रेटिना कहलाता है। मायोपिया (निकट दृष्टि दोष) में, प्रकाश किरणें आंखों में बहुत जल्दी इकट्ठा हो जाती हैं और रेटिना तक पहुंचने से पहले केंद्रित हो जाती हैं, और इसलिए रेटिना पर कोई छवि नहीं बन सकती है।

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आम तौर पर निकट दृष्टि दोष का मुख्य कारण हैं

  • आजकल गैजेट्स का बढ़ता चलन,
  • घर और ऑफिस की चारदीवारी में सिमटता जीवन,
  • शारीरिक गतिविधियों की कमी और जंक फूड का बढ़ता चलन
  • यह न केवल हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है बल्कि हमारे आंखों के स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर रहा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया भर में मायोपिया के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, आज दुनिया भर में 1.4 बिलियन लोगों को निकट दृष्टि दोष/ मायोपिया है, ऐसा अनुमान है कि यह आंकड़ा 2050 तक बढ़कर 5 बिलियन हो जाएगा। इनमें से लगभग 10 प्रतिशत लोगों को मायोपिया इतनी गंभीर होगी कि उन्हें अंधेपन का खतरा अधिक हो सकता है।

मायोपिया के प्रकार

मायोपिया के प्रकार

  1. सरल/ सिंपल मायोपिया

सिंपल मायोपिया में व्यक्ति की आँख वस्तुतः स्वस्थ होती है, उचित शक्तिशाली लेंस या चश्मे से दोष को आसानी से ठीक किया जा सकता है और आँख की दृष्टि की समस्या को ठीक किया जा सकता है।

  1. हाई मायोपिया

हाई मायोपिया, मायोपिया का चरम या उच्च रूप है। इसमें, यदि किसी व्यक्ति को कम उम्र में मायोपिया का निदान किया जाता है, तो बढ़ती उम्र के साथ यह हानि और भी बदतर हो जाती है। हाई मायोपिया मोतियाबिंद, ग्लूकोमा आदि सहित अतिरिक्त नेत्र विकारों के जोखिम को बढ़ाता है।

  1. पैथोलॉजिकल मायोपिया

पैथोलॉजिकल मायोपिया को अपक्षयी मायोपिया के रूप में भी जाना जाता है। इसे लेंस या चश्मे से ठीक नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार के मायोपिया से अंधापन होने के चांसेज ज्यादा होते हैं।

निकट दृष्टि दोष / मायोपिया के कारण

निकट दृष्टि दोष /मायोपिया कई कारणों से होता है। इनमें से कुछ कारण निम्नलिखित हैं:-

वंशानुगत कारण – निकट दृष्टि दोष /मायोपिया आधे से अधिक समय में वंशानुगत होता है जिसका अर्थ है कि यह पीढ़ियों तक चला जाता है।

दूसरा कारण है, नेत्रगोलक का बढ़ाव या कॉर्निया का निर्माण- इसमें कॉर्निया की सामान्य वक्रता के उभार पर प्रकाश किरणें अपवर्तित हो जाती हैं। ऐसे में कॉर्निया से पहले तस्वीर बन जाती है। इसलिए धुंधली छवि है क्योंकि दूर की वस्तुओं की छवि उपयुक्त बिंदु पर दिखाई नहीं देती है।

तीसरा कारण, अनियंत्रित मधुमेह- रक्त शर्करा के स्तर में वृद्धि से निकट दृष्टि दोष /मायोपिया हो सकता है।

एक असामयिक मोतियाबिंद (कैटरैक्ट) भी निकट दृष्टि दोष /मायोपिया का कारण बन सकता है- मायोपिक शिफ्ट मोतियाबिंद के दृश्य लक्षण हैं। जब मोतियाबिंद समय पर ठीक नहीं होता है, तो यह आगे चलकर मायोपिया के विकास का कारण बन सकता है।

लेंस का आकार बहुत उत्तल हो जाता है- यदि लेंस का आकार बहुत अधिक उत्तल हो जाता है, तो निकट दृष्टि दोष या मायोपिया उत्पन्न हो सकता है।

नेत्रगोलक के विभाग में वृद्धि भी इसका एक कारण हो सकती है – जब नेत्रगोलक की लंबाई आंख और कॉर्निया के लेंस की फोकस करने की शक्ति की तुलना में बहुत लंबी होती है। तो प्रकाश किरणें रेटिना के सामने एक बिंदु पर केंद्रित होती हैं न कि रेटिना पर ही, इस वजह से भी निकट दृष्टि दोष या मायोपिया हो सकता है।

निकट दृष्टि दोष /मायोपिया के लक्षण

निकट दृष्टिदोष/मायोपिया के कई लक्षण होते हैं। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:-

  • यदि किसी व्यक्ति को मायोपिया है, तो वह दूर के संकेत (जैसे सड़क के संकेत) स्पष्ट रूप से नहीं देख पाएंगे। हालांकि, वे आस-पास की वस्तुओं को देख पाएंगे।
  • गाड़ी चलाते समय या खेल खेलते समय थकान महसूस होना भी मायोपिया का एक लक्षण है।
  • जब किसी व्यक्ति को दूर की वस्तुओं को देखने में सक्षम होने के लिए अपनी पलकों को झुकना या आंशिक रूप से बंद करना पड़ता है, तो यह भी मायोपिया का संकेत है।
  • सिरदर्द निकट दृष्टिदोष/मायोपिया के सामान्य लक्षणों में से एक है।
  • निकट दृष्टिदोष/मायोपिया आंखों में खिंचाव का कारण बनता है।
  • पलकों को सिकुड़कर देखना।
  • आंखों से पानी आना।

इनके अलावा, बच्चों में निम्न लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं, जैसे कि :–

  • क्लासरूम में ब्लैक बोर्ड या व्हाइट बोर्ड से ठीक प्रकार से दिखाई न देना।
  • लगातार आंखें मसलना।
  • पढ़ाई पर फोकस न कर पाना।

निकट दृष्टि दोष /मायोपिया की रोकथाम कैसे करें ?

निकट दृष्टिदोष/निकटदृष्टिता को रोकना संभव नहीं है, लेकिन इसकी प्रगति को धीमा करने के लिए आप कुछ कदम उठा सकते हैं।

तो आप अपनी आंखों और दृष्टि की सुरक्षा एवं निकट दृष्टि दोष /मायोपिया को कम करने के लिए निम्नलिखित कदम/ स्टेप्स उठा सकते हैं:-

  • नियमित अंतराल पर अपनी आंखों की जांच कराएं।
  • यदि आपको डायबिटीज़ /मधुमेह और हाई ब्लड प्रेसर है तो आप अपना इलाज तुरंत कराएं, क्योंकि ये आपकी दृष्टि को प्रभावित कर सकते हैं।
  • जब भी आप घर से बाहर निकलें तो धूप का चश्मा पहनें। इससे आपकी आंखों को सूरज की अल्ट्रा-वायलेट किरणों के हानिकारक प्रभाव से बचाव होगा।
  • अपने आहार चार्ट में मौसम के हिसाब से फल और सब्जियां और मछली शामिल करें।
  • पढ़ाई और कंप्यूटर पर काम करते समय छोटे-छोटे ब्रेक लें तथा कम रोशनी में लिख्ने – न करें बल्कि अच्छी रोशनी में पढ़ें।
  • धूम्रपान मत करें,  धूम्रपान आपकी आंखों के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है।
  • बच्चों को कमरे की चहारदीवारी में बंद न रखें बल्कि उन्हें बाहर धूप में खेलने का मौका भी दें।
  • निकट दृष्टि दोष /मायोपिया से बचने एवं उसे काम करने के लिए कंप्यूटर / मोबाइल स्क्रीन के सामने कम समय बिताएं।
  • इसके अलावा बच्चों को  दो घंटे से ज्यादा टीवी और मोबाइल का इस्तेमाल न करने दें।
  • पढ़ाई के समय किताबों और आंखों के बीच उचित दूरी बनाए रखें।

निकट दृष्टि दोष / मायोपिया का उपचार 

निकट दृष्टि दोष / मायोपिया के उपचार का लक्ष्य निकट दृष्टि दोष में सुधार करना है। इसके लिए सर्जिकल और नॉन सर्जिकल दोनों तरह के उपचार उपलब्ध हैं।

नान-सर्जिकल / गैर शल्य चिकित्सा उपचार

निकट दृष्टि दोष /मायोपिया के गैर-सर्जिकल उपचार के लिए नकारात्मक (निगेटिव) संख्या वाले चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस के उपयोग की आवश्यकता होती है। चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस का नंबर जितनी अधिक होगा, आपका मायोपिया उतना ही गंभीर होगा।

निकट दृष्टि दोष में लेंस

यह निकट दृष्टि दोष / मायोपिया के दोष को कम करने में सहायक होता है। चश्मा दृष्टि को साफ और तेज करने का एक सामान्य और सुरक्षित तरीका है। इनमें विभिन्न प्रकार के चश्मों के लेंस का उपयोग किया जाता है।

निकट दृष्टि दोष में कौन सा लेंस लगता है

ये लेंस सीधे आंखों पर लगाए जाते हैं। वे विभिन्न प्रकार की सामग्रियों से बने होते हैं और विभिन्न प्रकार के डिज़ाइनों में आते हैं।

सर्जिकल उपचार

रिफ्रेक्टिव सर्जरी

निकट दृष्टि दोष /मायोपिया रिफ्रेक्टिव इरर कहलाती है एवं इसे दूर करने के लिए की जाने वाली सर्जरी को रिफ्रेक्टिव सर्जरी कहा जाता है। रिफ्रेक्टिव सर्जरी चश्मे और कॉन्टैक्ट लेंस पर निर्भरता को कम करती है।

रिफ्रेक्टिव सर्जरी में नेत्र सर्जन कॉर्निया को फिर से आकार देने के लिए लेजर बीम का उपयोग करता है। इससे निकट दृष्टि दोष /मायोपिया में काफी हद तक सुधार होता है। बहुत से लोगों को सर्जरी के बाद चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस की आवश्यकता नहीं होती है, जबकि किसी किसी को अभी भी उनकी आवश्यकता हो सकती है। जब तक आपका लेंस नंबर स्थिर नहीं हो जाता, तब तक रिफ्रेक्टिव सर्जरी की रेकमेंडेशन नहीं दी जाती है।

लेसिक और फोटो-रिफ्रेक्टिव केरैटेक्टोमी (पीआरके) दोनों ही सबसे आम/ नार्मल रिफ्रेक्टिव सर्जरियां हैं। लेसिक और फोटो-रिफ्रेक्टिव केरैटेक्टोमी (पीआरके) दोनों में ही कार्निया का आकार बदला जाता है ताकि प्रकाश बेहतर तरीके से रेटिना पर केंद्रित हो सके, जिससे कि निकट दृष्टि दोष / मायोपिया को ठीक किया जा सके।

निष्कर्ष – निकट दृष्टि दोष

जैसा कि हमें पता है कि आँखे अनमोल हैं। अतः इनसे संबंधित समस्याओं को आप अनदेखा न करें। अगर आपको या आपके परिवार के किसी सदस्य को मायोपिया है तो डॉक्टर को दिखाने में बिल्कुल देरी न करें। अगर किसी की आँखे कमजोर होने के साथ ही चश्मे का नम्बर तेजी से बढ़ रहा हो तो बिलकुल भी देर नहीं करनी चाहिए  और व्यक्ति को तुरन्त ही आँखों के विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए।चश्में, कांटेक्ट लेंसों और सर्जरी के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप डॉ. कशिश गुप्ता जो कि  एक जाने माने नेत्र विषेशज्ञ (आई सर्जन) हैं  से कंसल्ट कर सकते हैं जो कि आपको सही तरीके से समझायेंगे कि आँखों की किसी भी बीमारी का सही उपचार कैसे करवाएं। तो ज्यादा देर न करते हुए आज ही यहाँ संपर्क करें।