मायोपिया (निकट दृष्टि दोष): कारण, लक्षण, और उपचार - Best eye specialist Hospital near you in Bathinda India

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मायोपिया (निकट दृष्टि दोष): कारण, लक्षण, और उपचार

मायोपिया, जिसे आम भाषा में निकट दृष्टि दोष (Nikat Drishti Dosh) भी कहा जाता है, एक आम नेत्र समस्या है जिसमें दूर की वस्तुएं धुंधली दिखाई देती हैं, जबकि निकट की वस्तुएं स्पष्ट दिखती हैं। यह समस्या तब उत्पन्न होती है जब नेत्रगोलक की लंबाई सामान्य से अधिक होती है या कॉर्निया की वक्रता अत्यधिक होती है। इसके कारण प्रकाश की किरणें रेटिना के सामने केंद्रित हो जाती हैं, जिससे दृश्य धुंधला हो जाता है।

मायोपिया के कारण

मायोपिया के विकास के पीछे कई कारण हो सकते हैं:

  1. आनुवंशिकी: यदि आपके माता-पिता में से किसी को मायोपिया है, तो आपको इसके विकसित होने की संभावना अधिक होती है।
  2. लंबे समय तक नज़दीकी कार्य: लगातार कंप्यूटर, मोबाइल या किताबें पढ़ने जैसी गतिविधियां भी आंखों पर तनाव डालती हैं, जिससे मायोपिया हो सकता है।
  3. पर्यावरणीय प्रभाव: कम समय बाहर बिताने और प्राकृतिक प्रकाश में न होने से भी मायोपिया के विकास का खतरा बढ़ जाता है।

मायोपिया के लक्षण

मायोपिया के लक्षण धीरे-धीरे विकसित हो सकते हैं और इनमें निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:

  • दूर की वस्तुओं को धुंधला देखना: सड़क के संकेत, ब्लैकबोर्ड या दूर स्थित वस्तुओं को स्पष्ट रूप से न देख पाना।
  • सिरदर्द और आंखों में तनाव: लंबे समय तक काम करने या पढ़ाई करने पर आंखों में तनाव और सिरदर्द महसूस होना।
  • आंखों में थकान: गाड़ी चलाते समय या खेलते समय जल्दी थक जाना।
  • पलकों को सिकोड़ना: दूर की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देखने के लिए बार-बार पलकों को सिकोड़कर देखना।

मायोपिया की जांच (नेत्र परीक्षण)

मायोपिया का परीक्षण या जांच नेत्र विशेषज्ञ द्वारा किया जाता है।

1. प्रारंभिक दृष्टि परीक्षण: नेत्र चिकित्सक आपकी दृष्टि की प्रारंभिक जांच करेगा, जिसमें आपको विभिन्न दूरी पर रखे अक्षरों को पढ़ने के लिए कहा जाएगा।

2. रेटिनल रिफ्लेक्स परीक्षण: इस परीक्षण में चिकित्सक आपके रेटिना पर प्रकाश डालकर यह जांचता है कि आपकी आंखें प्रकाश को कैसे प्रतिबिंबित करती हैं। इससे पता चलता है कि आपकी दृष्टि में किस प्रकार की समस्या है।

3. रिफ्रैक्शन टेस्ट: इस परीक्षण के दौरान विभिन्न लेंसों का उपयोग किया जाता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कौन सा लेंस आपकी दृष्टि को सबसे स्पष्ट बनाता है। इससे आपके लिए सही चश्मे या कॉन्टेक्ट लेंस का पावर निर्धारित किया जाता है।

4. टोपोग्राफी (कॉर्निया के आकार की माप): कुछ मामलों में, विशेषकर सर्जिकल विकल्पों पर विचार करते समय, नेत्र विशेषज्ञ आपकी कॉर्निया का आकार और संरचना मापने के लिए टोपोग्राफी का उपयोग कर सकते हैं। यह प्रक्रिया LASIK या अन्य सर्जिकल उपचार के लिए महत्वपूर्ण होती है।

मायोपिया का उपचार

मायोपिया का इलाज कई तरीकों से किया जा सकता है:

  1. चश्मे या संपर्क लेंस: यह सबसे आम और सरल उपचार है। आपकी दृष्टि की स्थिति के अनुसार सही नकारात्मक (-) संख्या का चश्मा या लेंस निर्धारित किया जाता है।

  2. सर्जिकल उपचार:

    • LASIK सर्जरी: इस सर्जरी में एक लेजर का उपयोग करके कॉर्निया की वक्रता को सुधारा जाता है, जिससे दृष्टि सामान्य हो जाती है।
    • PRK और LASEK: यह सर्जरी विधियां उन लोगों के लिए हैं जिनके कॉर्निया पतले होते हैं। इसमें भी लेजर के माध्यम से दृष्टि ठीक की जाती है।
  3. ऑर्थो-K या CRT: यह संपर्क लेंस रात में पहने जाते हैं जो अस्थायी रूप से कॉर्निया को फिर से आकार देते हैं, जिससे दिन के समय दृष्टि साफ रहती है।

रोकथाम और देखभाल

हालांकि मायोपिया को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता है, लेकिन कुछ उपायों से इसके खतरे को कम किया जा सकता है:

  • बच्चों को नियमित रूप से नेत्र परीक्षण करवाना।
  • स्क्रीन टाइम को सीमित करना और बाहरी गतिविधियों में भाग लेना।
  • पढ़ाई या कंप्यूटर का उपयोग करते समय उचित दूरी बनाए रखना।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

मायोपिया को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता, लेकिन बाहर अधिक समय बिताना, स्क्रीन टाइम कम करना, और नियमित नेत्र परीक्षण करवाना इसे नियंत्रित करने में सहायक हो सकते हैं।

हां, LASIK सर्जरी एक सुरक्षित और प्रभावी तरीका है, लेकिन यह सभी के लिए उपयुक्त नहीं है। नेत्र विशेषज्ञ से परामर्श लेना आवश्यक है।

हां, मायोपिया अक्सर बचपन में ही विकसित होता है, खासकर यदि माता-पिता को यह समस्या हो।

मायोपिया का सबसे आसान और सामान्य उपचार चश्मा है। चश्मा पहनने से आंखों को आराम मिलता है और दृष्टि सुधारती है।

नियमित नेत्र जांच मायोपिया का शीघ्र निदान करने में मदद कर सकती है, जिससे इसे नियंत्रण में रखा जा सकता है।

 

हां, अत्यधिक स्क्रीन टाइम और नजदीकी कार्य आंखों पर तनाव डाल सकते हैं और मायोपिया के विकास में योगदान कर सकते हैं। स्क्रीन टाइम को सीमित रखना और नियमित ब्रेक लेना मायोपिया के खतरे को कम कर सकता है।

 

मायोपिया आमतौर पर बचपन में शुरू होता है और किशोरावस्था के बाद स्थिर हो जाता है। हालांकि, कुछ मामलों में, यह उम्र के साथ बढ़ भी सकता है।

निष्कर्ष

मायोपिया एक सामान्य दृष्टि समस्या है, लेकिन सही देखभाल और उपचार से इसे प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है। नियमित नेत्र जांच, चश्मे या लेंस का सही उपयोग, और सर्जरी के विकल्प इस समस्या से निपटने के प्रभावी तरीके हैं। यदि आपको मायोपिया के लक्षण दिख रहे हैं, तो तुरंत नेत्र विशेषज्ञ से परामर्श लें।

Tariq Masoodi is a technical content writer who specializes in strategic communications and digital media. He writes on health, eye care, and mass communication. He is fascinated by web marketing, advocacy blogs, and vlogs on all social media platforms. With over 20 years of expertise, he works with businesses around the world by pitching niche content to a targeted clientele to generate added revenues. He is a former professor of Media Studies and an alumnus of IIT Roorkee, India.